February 20, 2008

ढाई हजार से परे लाखों का क्या ?

छत्तीसगढ़ में तेजी से औघोगिकरण-शहरीकरण हो रहा है। एक बार में सोचने पर लगता है कि प्रदेश का विकास हो रहा है,लेकिन एक जानकार अधिकारी के साथ अनौपचारिक चर्चा में कई खतरनाक जानकारियां भी सामने आई। उघोगों की बढ़ती संख्या के कारण पर्यावरणीय दुष्परिणाम के बारे में सभी जानते हैं। शहर के हर घर की छत उघोगों की काली धूल से पटी है। दूसरी तरफ इससे होने वाले मानवीय दुष्परिणामों के आकड़ों पर नजर डालें,तो आश्चर्य होगा कि रायपुर की दस-बारह लाख की आबादी में करीब एक लाख से अधिक लोग कैंसर,अस्थमा,फ़ेफ़ड़ों की बीमारी,त्वचा रोग से पीडि़त हैं। इसमें अधिकांश कम उम्र के लोग हैं। यह आंकड़े केवल सरकारी अस्तपाल मेकाहारा के हैं,जहां गरीब,मध्यम वर्ग के लोग इलाज कराते हैं। निजी अस्पतालों और बाम्बे जाकर कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज कराने वाले लोगों को भी इसमें शामिल किया जाए तो आंकड़े दोगुने हो सकते हैं।

जानकारों का मानना है कि ये बीमारियां उन कुछ उघोगपतियों की ही देन है,जो खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे है और लाखों के जीवन से खिलवाड कर रहे हैं।उघोगों के प्रदूषण के बारे तमाम लोग यह भी जानते हैं कि इसने ओजोन परत तक को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। खुलेआम काला धुआं छोड़ते उघोगों पर सरकार प्रशासन के लोग उन्हें देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं। दैनिक छत्तीसगढ़ के संपादक सुनील कुमार ने पिछले दिनों विशेष संपादकीय में लिखा है कि सरकारी विज्ञापनों में भी राजधानी के प्रदूषण को किस तरह स्वीकार किया जा रहा है।

गृह निर्माण मण्डल ने नई राजधानी में शुरू की योजना का इश्तहार कुछ इस तरह जारी किया-नीरसता को तिलांजलि,प्रदूषण और अशांति भूले भी नहीं भटकेंगी इसकी गलियों में........अंग्रेजी में कुछ इस तरह लिखा गया है कि पाल्यूशन एंड नाएस लेफ़ट बिहाइंड वेयर दे बिलांग। मतलब साफ है कि इस बस्ती में बसने वालों प्रदूषण और शोर को वहीं छोड़ कर आओ जहां उनको रहना चाहिए। यहां पर हाउसिंग बोर्ड ढाई से पचास लाख तक दाम वाले ढाई हजार मकान बना रहा है। लेकिन इन ढाई हजार मकानों में रहने वाले लोगों से परे उन लाखों लोगों का क्या होगा। जाहिर है उनके हिस्से में वही कारखानों की काली धूल ही रहेगी।

3 comments:

Sanjeet Tripathi said...

सुनील कुमार जी का इस मुद्दे पर विशेष संपादकीय पढ़ा था बहुत सही लिखा हुआ!!

कृपया आह मौसम-वाह मौसम और "……और अब भाजपा की बारी है" पढ़ें

Lokesh Kumar Sharma said...

शर्मा जी आपका कहना सही है. लेकिन समस्या Urban Planing का है.उद्योग, कालोनी, कम्सियल काम्पलेक्स यहा तक रायपुर मे बनाने वाले सड्क मे कोइ योजना के रुप मे कार्य नही किया जाता. उद्योग के साथ साथ रायपुर मे बनने वाले कालोनी, कम्सियल काम्पलेक्स नियमो को अनदेखी करके बन रहे है. उसमे उच्चतम न्यालय के निर्देशो का उल्न्घन होता ही है. केवल शासन को दोषी कहना उचित नही होगा. शासन के साथ साथ जनता भी दोषी है. अभी हम लोग Urban Planing के बारे मे जागरुक नही हुये है.

Pankaj Oudhia said...

बढिया लिखा है। मैने अपने प्रदूषण वाले ब्लाग मे इसकी कडी दी है। इस ब्लाग का पता है
रायपुर मे कौन सी बदबू फैली है अभी
http://meraraipur.blogspot.com/