February 21, 2008

छत्तीसगढ़ भी कत्लेआम के लिए तैयार...

छत्तीसगढ़ भी अब कत्लेआम के लिए तैयार है। यहां भी रोजाना सैकड़ों-हजारों की खून की होली खेली जाएगी और कईयों के सिर धड़ से अलग होंगे। ऐसा कोई और नही,बल्कि छत्तीसगढ़ की सरकार करने जा रही है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़(रायपुर,बिलासपुर,भिलाई) में कत्लखाना खोलने केन्द्र को प्रस्ताव भेजा है। मंजूरी के बाद यहां भी बेगुनाह जानवरों की हत्या की जाएगी।

पशुओं की हत्या के खिलाफ अब कोई हल्ला नहीं मचा सकेगा। ऐसा करने के लिए राज्य शासन ने पूरी तैयारी कर ली है। अब तो केवल केन्द्र सरकार के एक इशारे का इंतजार है। अपने आप को हिंदूवादी संगठन कहने वाली भाजपा शायद भूल गई है कि हिन्दू धर्म में जीव हत्या को सबसे बड़ा पाप माना जाता है। धर्म में गौ(गाय)को माता का दर्जा दिया गया है। पता नहीं किस धर्म और संस्कृति के तहत बेजुबानों की हत्या के लिए कत्लखाना खोलने की तैयारी है।

गौ और अन्य पशुओं की हत्या का विरोध करने वाले हिन्दूवादी संगठन अब खुद उसी रास्ते में चलने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं। लगता है कि प्रदेश में सरकार ने शायद कत्लखाने के बारे में ही सोचकर आदिवासियों को गाय बांटने की योजना शुरू की थी।इतना ही नहीं कत्लखाने के लिए जमीन तलाश ली गई है और करोड़ों का बजट भी स्वीकृत कर दिया गया है। करोड़ों की अत्याधुनिक मशीनें स्थापित किए जाएंगे,ताकि पशुओं को मशीनों से काटा जा सके। यहां से देश-विदेश के गोश्त प्रेमियों को ताजा व ठंड़ा मांस परोसा जाएगा। सरकार की दलील है कि कत्लखाना खुलने से खुलेआम पशुओं की कटाई पर रोक लगेगी। वाकई इस तर्क का तो कोई काट नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने जानवरों की खुलेआम हत्या और बिक्री के लिए कानून बनाया है। लेकिन इसकी याद तो सरकारों को गांधीजी की जयंती और पुण्यतिथि को ही आती है। जोगी शासनकाल में भी कत्लखाना खोलने का प्रस्ताव बनाया गया था,लेकिन पशुप्रेमियों के विराध के कारण इसे टाल दिया गया था। नए प्रस्ताव पर अभी तक किसी ने सुध नहीं ली है।

4 comments:

Anonymous said...

bhajpa hijdo ki party hai
so sad

Sanjeet Tripathi said...

ह्म्म, बंधु, एक दल सरकार में रहने के बाद अगर कोई प्रस्ताव लाए तो ऐसा बहुत कम होता है कि अगली सरकार उस प्रस्ताव को सिरे से ही खारिज कर दे, नही तो येन केन प्रकारेण वह प्रस्ताव नए आवरण में पेश कर मान ही लिया जाता है!!

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस हो या भाजपा दोनो ही अपने रोटी सेकने में लगे हैं पता करवाईए तो जाहिर होगा कि ऐसे प्रस्तावों से दोनो ही दलों के नेताओं और उनके चमचों को है।

ये उपर शेरसिंह राणा जी जो कह गए हैं उसमें हल्का संशोधन करना चाहूंगा कि सभी पार्टियां एक समान है। हिजड़े भी शायद इनसे अच्छे ही होते होंगे उनमें कम से कम इनोशन्स तो होते हैं।

Gyan Dutt Pandey said...

वीभत्स!

Lokesh Kumar Sharma said...

शर्मा जी, आज रायपुर के किसी भी मुख्य बाजार मे जाई आपको कटा हुआ मांस लट्के हुये बिकता मिल जायेगा. रिक्शे, सायकल, आटो मे मुर्गी और बकरा को अमानवी तरह से लटकाते ले जाते मिल जायेगा. मांस बिक्री तब तक बंद नही होगा जब लोग खाने नही छोडेगे.ये फिर हाल भारत वर्ष मे संभव नही हैं. भारत के ६० साल के आजादी के पश्चात भी सनातन धर्म बाहुल्य देश मे गौ मांस बिकना प्रतिबंधित नही है. यदि मांस संग्रहण केन्द्र खुल जाने से बाजार मे बन्द पैकेट मे मांस कि बिक्री होगी जो अभी होने वाले बिक्री से अच्छा होगा.