महंगाई को लेकर पूरे देश में जमकर हल्ला मचा हुआ है। मंत्रालय से लेकर चौक चौराहे पर चर्चा का विषय महंगाई है। महिलाएं किचन में महंगाई का रोना रो रही हैं, तो पुरूषो को पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतें भारी पड़ रही है। सत्तारूञ्ढ दल के पास अपनी दलील है, तो विपक्ष काला-पीला दिवस मना रहा है। टीवी चैनल और प्रिंट मीडिया भी महंगाई पर हर किसी के किचन में घुस कर इसका बखान कर रहे हैं। अखबार से जुड़े होने के कारण हम लोगों ने भी इस विशेष पर जोर लगाया। इसमें कोई संदेह नहीं कि समस्या बड़ी है, लेकिन मेरा मानना है कि हल्ला मचाने के बजाए समस्या का हल निकालने एनर्जी लगानी चाहिए। महंगाई पर आम लोगों, जानकार और अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट से बात करने पर मुझे लगा कि कुछ विकल्प हैं जिससे बहुत ज्यादा तो नहीं,लेकिन कुछ हद तक महंगाई की समस्या से निपटा जा सकता है।
सोलर एनर्जी के बारे में हम सभी जानते हैं। कुछ लोग इसका उपयोग भी करते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि छत्तीसगढ़ में सूर्य की गरमी से पावर जनरेट करने की अच्छी संभावना है। दूसरे राज्यों की तुलना में यहां सूर्य का ताप करीब 35 प्रतिशत ज्यादा है। बारिश को छोड़कर 10 महीने 8-10 घण्टे सूर्य निकलता है। इससे बिजली पैदा करना तो आसान हो गया है। राजस्थान सरकार विदेशी कंपनियों की मदद से 5 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट लगाने जा रही है। यह सबसे बड़ा पावर प्लांट होगा। यूएस और आस्ट्रेलिया जैसे देश भी सोलर पावर को और विकसित करने में जुटे हैं। गूगल का पूरा नेटवर्क सोलर पावर से चलता है। तभी तो हम सब कभी भी गूगल सर्च कर मनचाही जानकारी पाते हैं, और रूकावट के लिए खेद है जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।
इस पर अभी शोध बाकी है, लेकिन घर की छतों पर सोलर प्लेट्स लगाकर किचन में खाना बनाने की व्यवस्था हो सकती है। इसी तरह बायोडीजल और बैटरी वाली गाडि़यां पेट्रोल डीजल का बेहतर विकल्प हो सकती है। बायोडीजल का महत्व तो बड़ी बड़ी पेट्रोलियम कंपनियां भी समझने लगी हैं, लेकिन यही पेट्रोलियम लाबी इसे बढ़ावा देने के खिलाफ है। उनका मानना है कि यह बेहतर विकल्प नहीं हो सकता। इसके बावजूद डी-वन जैसी विदेशी कंपनियां छत्तीसगढ़ से जेट्रोफा के बीज को आउट करने 50 किलो की दर पर खरीद कर रहे हैं। जबकि सरकार ने इसका समर्थन मूल्य साढ़े 6 रुपया तय किया है। सबसे अहम बात यह होगी कि गैर परम्परागत ईंधन के उपयोग से देश को दूसरों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। देश का पैसा देश में ही रहेगा। हजारों करोड़ की सबसिडी देना सरकार के लिए जरूरी नहीं होगा। यह पैसा देश के विकास पर खर्च होगा। विश्व के दूसरे देश सोलर पावर का महत्व समझकर इसे अपना रहे हैं। तो हमें भी गंभीरता से इस पर सोचना चाहिए।
सोलर एनर्जी के बारे में हम सभी जानते हैं। कुछ लोग इसका उपयोग भी करते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि छत्तीसगढ़ में सूर्य की गरमी से पावर जनरेट करने की अच्छी संभावना है। दूसरे राज्यों की तुलना में यहां सूर्य का ताप करीब 35 प्रतिशत ज्यादा है। बारिश को छोड़कर 10 महीने 8-10 घण्टे सूर्य निकलता है। इससे बिजली पैदा करना तो आसान हो गया है। राजस्थान सरकार विदेशी कंपनियों की मदद से 5 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट लगाने जा रही है। यह सबसे बड़ा पावर प्लांट होगा। यूएस और आस्ट्रेलिया जैसे देश भी सोलर पावर को और विकसित करने में जुटे हैं। गूगल का पूरा नेटवर्क सोलर पावर से चलता है। तभी तो हम सब कभी भी गूगल सर्च कर मनचाही जानकारी पाते हैं, और रूकावट के लिए खेद है जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।
इस पर अभी शोध बाकी है, लेकिन घर की छतों पर सोलर प्लेट्स लगाकर किचन में खाना बनाने की व्यवस्था हो सकती है। इसी तरह बायोडीजल और बैटरी वाली गाडि़यां पेट्रोल डीजल का बेहतर विकल्प हो सकती है। बायोडीजल का महत्व तो बड़ी बड़ी पेट्रोलियम कंपनियां भी समझने लगी हैं, लेकिन यही पेट्रोलियम लाबी इसे बढ़ावा देने के खिलाफ है। उनका मानना है कि यह बेहतर विकल्प नहीं हो सकता। इसके बावजूद डी-वन जैसी विदेशी कंपनियां छत्तीसगढ़ से जेट्रोफा के बीज को आउट करने 50 किलो की दर पर खरीद कर रहे हैं। जबकि सरकार ने इसका समर्थन मूल्य साढ़े 6 रुपया तय किया है। सबसे अहम बात यह होगी कि गैर परम्परागत ईंधन के उपयोग से देश को दूसरों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। देश का पैसा देश में ही रहेगा। हजारों करोड़ की सबसिडी देना सरकार के लिए जरूरी नहीं होगा। यह पैसा देश के विकास पर खर्च होगा। विश्व के दूसरे देश सोलर पावर का महत्व समझकर इसे अपना रहे हैं। तो हमें भी गंभीरता से इस पर सोचना चाहिए।
5 comments:
बिल्कुल सहीं चिंतन है समरेन्द्र जी आपकी । छत्तीसगढ में सोलर विद्युतीकरण की अपार संभावनायें हैं । कुछ वनवासी इलाकों में राज्य अक्षय उर्जा विभाग एवं अन्य संस्थाओं के सहयोग से गांव रौशन हुए है ।
पर इनकी संख्या कम है, विभाग द्वारा सोलर पावर से चलने वाली एक गाडी भी विधायकों को विधान सभा लाने ले जाने के लिये चलाई गई थी पर सब सिफर ...
मुझे लगता है सोलर एनर्जी पर भारत में ऑलरेडी सजग और सार्थक प्रयास हो रहे हैं, जल्द ही परिणाम भी दिखने लगेंगे.
यह मैं मुझे प्राप्त विभिन्न सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कह रहा हूँ. कितना सही कितना गलत-मैं नहीं कह सकता.
सही है जी - अब ऊर्जा विकल्पों पर ध्यान जायेगा गम्भीरता से।
या अल्लाह दुहाई है ये कैसी महंगायी है
हम ने तो अपने बचपन मे पुरी गर्मी सोलर कुकर का ही खाना खाया है जब तक वो टुट नही गया ,पेट्रोल डीजल के विकल्प के लिये अभी हर दिशा मे खोज जरुरी है ॥
sahee kaha aapne. is disha mein aur bahut kaam karne kee zaroorat hai.
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