लाखों-करोड़ों रुपए कमाना हर युवा का सपना होता है। इसके लिए कई दिन रात एक करके कठिन परीक्षा पास करते हैं, तो कुछ करोबार में मेहनत करके पैसा कमाते हैं, लेकिन करोड़ों का पैकेज ठुकराकर आईएएस बने अमित कटारिया का सपना इन सबसे अलग है। वे नौकरी भी बगैर सैलरी के करते हैं।
रायपुर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और 2004 बैच के आईएएस अमित कटारिया नौकरी केबल पैसों के लिए नहीं करते। यही वजह है कि करीब दो-तीन साल की अपनी नौकरी में दो-तीन बार को छोड़कर वेतन नहीं लिया। दो-तीन बार भी, इसलिए कि ट्रांसफर के बाद नई जगह पर लास्ट पे स्लिप जमा करना अनिवार्य होता है। स्लिप इस बात का प्रूफ माना जाता है कि नई जगह पर पोस्टिंग वाले पुराने स्थान पर काम किया है।
सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा पास करके यहां तक पहुंचे श्री कटारिया का कहना है कि विशेष परिस्थितियों को छोड़कर वे भविष्य में भी वेतन लेना नहीं चाहते। ट्रेनिंग और परवीक्षा अवधि पूरी होने के बाद उनकी पहली पोस्टिग बतौर एसडीएम कवर्धा जिले में हुई थी। यहां कार्यकाल में उन्होंने एकाध बार ही सैलरी लिया। इसके बाद बेमेतरा और कांकेर में जिला पंचायत केञ् सीईओ के रूप में काम किया। बेमेतरा में उन्होंने एक बार भी वेतन नहीं लिया। फिलहाल वे रायपुर जिला पंचायत केञ् सीईओ के रूप में भी बिना तनख्बाह के काम कर रहे हैं। इसके अलावा नौकरी के दौरान सरकारी मकान भी नहीं लिया।
दिल्ली के समीप गुड़गांव के रहने वाले अमित ने इंजीनियरिंग की सर्वोच्च संस्थाओं में से एक आईआईटी दिल्ली इलेकट्रानिक्स में बीटेक किया है। बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें देश विदेश की नामी गिरामी कंपनियों से लाखों के पैकेज पर नौकरी का आफर मिला था, लेकिन वे आईएएस बनना चाहते थे। इसलिए सभी आफर ठुकरा दिया।
श्री कटारिया के वेतन नहीं लेने से उनका कई इंक्रीमेंट रूक गया है। उनके बैच मैट्स की सैलेरी 20-25 हजार तक पहुंच गई है, लेकिन उनका वेतन अभी भी 12-15 हजार के बीच बनता है। उनके वेतन का लाखों रुपया सरकारी खजाने में जमा हो गया है। सरकार हर आईएएस अफसर की तनख्बाह उनके बैंक खाते में जमा कर देती है। उन्होंने राज्य शासन को अपना बैंक अकाउंट नंबर ही नहीं दिया है। इसलिए पैसा बैंक में जमा नहीं होता।
उनका कहना है कि वे पिछले वेतन की राशि को क्लेम नहीं करेंगे। श्री कटारिया के परिवार का दिल्ली और आसपास रियल स्टेट का कारोबार है। शापिंग माल और कई कांप्लेक्स भी हैं। परिवार में माता पिता के अलावा दो भाई और दो बहन हैं। माता पिता गुड़गांव में रहते हैं। दोनों बहनें अमेरिका में डाकटर हैं। भाई भी अधिकांश समय इंग्लैंड में रहते हैं। उनकी हाल ही में शादी हुई है। पत्नी एयर इंडि़या में एयर होस्टेज है। उनसे कई गुना ज्यादा पत्नी की आमदनी है।
ये खबर मैने भास्कर मे छापी थी, ब्लाग मे इसलिए पोस्ट कर रहा। मुझे लगता एक उदाहरण सबक लेने लायक है।
August 31, 2008
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7 comments:
badhiya simran,tumne to bataya nahi humne tumhara blog dhund liya.badhai tumko achha likha aur lagatar likhte raho
खबर जरा हटकर है....जानकारी के लिये धन्यवाद
धन खाने मे नमक की तरह होता है यदि ज्यादा है तो भी मुश्कील और कम है तब भी मुश्कील !! अतः आर्तीक रुप से संपन्न लोगो को ऐसे उदाहरण अवश्य ही प्रस्तुत करने चाहिये !!
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनांयें
achchhi story hai.Amit Kataria saahab vetan lekar kisi garib bachche ki padhai par kharch karte to aur achchha hota.
बहुत अलग तरह की ख़बर है. ऐसे निस्वार्थ अधिकारी आज भी हैं, यह विशवास करना कठिन है.
बहुत अच्छा लगा आपका ब्लॉग पढ़ कर.
सादर बधाई.
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