March 21, 2011

दिलों में ताजा है धुंधली स्मृतियां और पदचिंह





दांडी सफरनामा

नवागाम से समरेन्द्र शर्मा


महात्मा गांधी के दांडी कूच के दूसरे दिन शाम को नवागाम से आंदोलन ने अपनी रफ्तार पकड़ी थी। इस गांव में ही आगे की रणनीति तय करने गांधीजी और सरदार पटेल के बीच अहम बैठक हुई थी। वह स्थान आज भी सुरक्षित है, जहां आंदोलन की अगुवाई कर रहे दोनों नेता मिले थे और गांधीजी रात बिताई थी। यहां दीवार पर लगी शिलालेख इस ऐतिहासिक क्षण की साक्षी है। इस स्थान के समीप दांडी यात्रियों के लिए विश्राम गृह भी बनाया जा रहा है। इसके अलावा गांव में गांधीजी से जुड़ी धुंधली स्मृतियों और उनके पदचिंह लोगों के दिलों में आज भी ताजा है।

नमक कानून के खिलाफ गांधी की दांडी यात्रा के दूसरे दिन का पड़ाव बरेजा और नवागाम में था। उन्होंने दोपहर को बरेजा तथा रात में नवागाम में विश्राम किया था। बरेजा में उन्होंने विदेशी कपड़ों और वस्तुओं को त्यागने का आव्हन किया था। जबकि नवागाम में उन्होंने फिरंगियों के खिलाफ लड़ाई के लिए बल मांगा था। उनकी दोनों बातों का गांव में ऐसा असर हुआ कि गांव के बच्चे, बूढ़े, महिला,पुरूष सभी वर्ग के लोग आंदोलन से जुड़ गए।

असलाली से निकलकर जब हम बेराज और नवागाम पहुंचे, तो यहां भी लोगों ने दिल खोलकर हमारा स्वागत किया। नवागाम में शाम को साढ़े 6 बजते ही गांधीजी एक मैदान में रूककर प्रार्थना के लिए आसान लगा लिया था। आंदोलनकारी भी उनके साथ बैठ गए और वैष्णव तन जेणे कहिए गाया। इस स्थान पर आज स्कूल है। इस स्थान पर गांधी जी की 4 लाख रूपए की लागत से प्र तिमा लगाई गई है। जिसमें उन बातों का जिक्र किया गया है, जैसा यहां गांधीजी ने किया था।

प्रार्थना सभा से कुछ दूर प्राचीन हनुमान मंदिर के समीप धर्मशाला में गांधीजी ने अपना डेरा लगाया था। धर्मशाला का वह कक्ष जीर्ण-शीर्ण हालात में आज भी उनकी स्मृतियों को सहजे हुए है। एक कमरे में गांधीजी के दांडी के लिए रवाना होने के बाद लगाए गए पत्थर में सरदार पटेल से मुलाकात सहित अन्य महत्वपूर्ण बातों का गुजराती में लिखा ब्यौरा काफी खास मायने रखता है। दरअसल, इस आंदोलन की रूपरेखा सरदार पटेल ने बनाई थी। यात्रा शुरू होने से काफी पहले वे लोगों को एकजुट करने गांव-गांव घूम रहे थे और लंबे अंतराल के बाद दोनों नेता इस गांव में मिले थे। माना जाता है कि इस स्थान से आंदोलन ने पूरे देश में जोर पकड़ा था। यहां पर गांधी के सानिध्य का अनुभव करके स्कूली बच्चे दोपहर का भोजन करते हैं।

इस जगह को सहेजकर रखने के लिए यहां पर काफी काम किए जा रहे हैं। दांडी यात्रियों के रूकने के लिए यहां 50 लाख से अधिक की लागत से विश्राम गृह बनकर तैयार है। दो-मंजिला इस भवन में कार्यक्रम के लिए हाल भी बनाए गए हैं। एक-दो महीने के भीतर इसका लोकार्पण किए जाने की तैयारी है। इसके अलावा भवन के सामने गांधीजी की आदमकम प्रतिमा भी लगाने की तैयारी है।

इस गांव में अंग्रेजी सरकार की यातनाओं के निशान आज भी मौजूद हैं। इस आंदोलन में गांधी के साथ रहे देवशंकर दवे के पोते महेंद्र दवे बताते हैं कि उनके दादा को अंग्रेजों ने दांडी सत्याग्रह से पहले इतनी बुरी कदर पीटा थी कि उनकी कमर तक टूट गई थी। उन्होंने प्याज पर टैक्स लगाने के खिलाफ आवाज उठाई थी और गांव वालों ने प्याज बेचने से इंकार कर दिया था। किसानों ने अपनी फसल को एक स्थान पर इकट्ठा करके रख दिया था। जिसके बाद अंग्रेज सरकार के सैनिकों ने उन पर जमकर लठाईयां बरसाई थी और आंदोकारियों को जेल में डाल दिया था। अंग्रेजी हूकुमत के समय जेल आज भी जस का तस है। हालांकि फिलहाल यहां लोग रहते हैं। इस स्थान पर अंग्रेजों के समय बनाए गए शिव मंदिर में लोग मत्था टेकते हैं।

सेनानी स्व देवशंकर दवे के 80 वर्षीय पुत्र श्याम लाल दवे दांडी यात्रा को याद करते हुए रो पड़ते हैं। वे बताते हैं कि अंग्रेजो के जुल्मों को सहनते हुए सेनानियों ने देश को आजादी दिलाई। यहां के युवा भी गांधीजी और उनके साथियों के बलिदान को याद करके गर्व की अनुभूति करते हैं। युवाओं को कहना है कि उनकी कोशिश रहती है कि गांधीजी के बताए रास्तों पर चलकर देश का नाम दुनिया में रोशन करें।

चाय-पान की नहीं है दुकानें

दांडी यात्रा पर पड़ने वाले गांवों की खासियत है कि यहां व्यसन और सामाजिक बुराईयों के खिलाफ गांधीजी के संदेश का आज भी पालन किया जाता है। नवागाम से पहले बरेजा में गांधी ने कहा कि अगर आप लोग चाय पीते रहेंगे और विदेशी कपड़े पहनते रहेंगे, तो कभी देश में स्वराज की स्थापना नहीं हो सकती है। इसलिए इनका त्याग करना आवश्यक है। इसके बाद यहां के लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाकर चाय पीना छोड़ दिया था। नवागाम में इसका काफी हद तक पालन किया जा रहा है। 10 हजार की आबादी वाले इस गांव में एक भी चाय और पान की दुकान नहीं है। लोगों का कहना है कि गांधीजी ने चाय के बहिष्कार का आव्हान किया था, इसलिए उन्होंने तय किया है कि चाहे जो भी व्यापार कर लें, लेकिन चाय और पान का व्यवसाय नहीं करेंगे। इसी तरह यहां पर शराब के खिलाफ लोग में जागरूकता है। हालांकि पूरे प्रदेश में शराबबंदी लागू है, इसके बावजूद लोग नशे के खिलाफ लोगों को जागरूक करते रहते हैं।

1 comment:

राहुल सिंह said...

पहली बार आया, अच्‍छा लगा. व्‍यवस्थित सिलसिलेवार विवरण. इस लेख पर कुछ और भी कहना है भाषा-शैली पर, लेकिन वह मेल या व्‍यक्तिगत चर्चा में.