April 18, 2011

बापू के मैनेजमेंट गुरू ने दिखाई दांडी-सहकारिता की राह




दांडी सफरनामा

आणंद से समरेन्द्र शर्मा

बापू की दांडी यात्रा के साथ-साथ गुजरात के आणंद जिले ने सहकारिकता के क्षेत्र में पूरी दुनिया के सामने मिसाल पेश की है। सरदार वल्लभ भाई पटेल त्रिभुवन पटेल और मोरारजी देसाई को सहकारिकता का जनक माना जाता है। उनके बेहतर प्रबंधन और किसनों को एकजुट करने की पहल की बदौलत गुजरात का दुग्ध संघ नंबर वन है। ढ़ाई सौ लीटर दूध इकट्ठा कर कारोबार शुरू करने वाले इस सोसायटी के जरिए 1.8 मीलियन लीटर दूध एकत्रित किया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक दांडी यात्रा से पहले सरदार पटेल की किसानों को एकजुट करने की मुहिम के कारण इसे अपेक्षा से अधिक सफलता मिली। बापू ने भी कहा था कि सरदार न होता तो मेरा सत्याग्रह सफल नहीं होता। नमक सत्याग्रह की घोषणा से फिरंगी हुकूमत बापू के बजाए सरदार से घबराई हुई थी। यही वजह है कि अंग्रेजों ने आंदोलन के पांच दिन पहले ही सरदार को गिरफ्तार कर लिया था।

गुजरात के आणंद को आजादी और मूलभूत अधिकारों की लड़ाई में दोहरा श्रेय जाता है। इस शहर ने आजादी की लड़ाई, नमक सत्याग्रह के लिए तो अपना योगदान दिया, साथ किसानों और गरीबों को उनकी मेहनत का मुनाफा दिलाने के कठिन संघर्ष किया। यह कहें कि दांडी यात्रा की सफलता औऱ आणंद के विकास में सहकारिता आंदोलन की अहम भूमिका थी, तो गलत नहीं होगा। आणंद से लगे सरदार पटेल की कर्मभूमि करमसद और बारदोली से इस आंदोलन की नींव पड़ी। इलाके और आसपास के किसानों ने सरदार को अपनी समस्याएं बताई, तो उन्होंने पूरे क्षेत्र का दौरा किया। इससे किसानों और गांव के लोगों से सीधा जुड़ाव हुआ। किसानों से सरदार का सीधा संपर्क होने के कारण ही गांधीजी ने नमक सत्याग्रह की पूरी बागडोर उन्हें सौंपी। इसकी पूरी योजना और मार्ग का निर्धारण पटेल ने किया था। यात्रा की सफलता के लिए सरदार मार्च से पहले गांवों के दौरे पर निकल गए थे। सरदार की इस रणनीति से घबराए अंग्रेजों ने उन्हें 7 मार्च को गिरफ्तार कर लिया, ताकि गांधीजी का मनोबल टूट जाए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, क्योंकि तब तक आंदोलन ने गति पकड़ ली थी।

गांधीजी ने अपने आंदोलन की सफलता का श्रेय पटेल को देते हुए कहा था कि ये मेरा सरदार है। ये नहीं होते तो शायद मेरा आंदोलन सफल नहीं हो पाता। उनकी इस बात को प्रमाण आणंद में देखने को मिलता है। जहां उन्होंने किसानों को एकजुट कर ऐसी संस्था की नींव रखी,जिसका देश-दुनिया में बड़ा नाम है। सरदार पटेल ने किसानों को सुझाव दिया था कि बिचौलिए और हुकूमत उनके उत्पाद का मूल्य नहीं देती है। उन्हे उत्पाद देना बंद कर दो। भले इससे उन्हें नुकसान उठाना पड़े, लेकिन किसानों और उत्पादकों को उनका वास्तविक मूल्य मिलना ही चाहिए। उनके इस सूत्र ने मैंनेजमेंट की ऐसी मिसाल पेश की, जिसे सिद्धांत मानकर बड़े- बड़े मैंनेजमेंट गुरू काम कर रहे हैं।


बाद में सरदार पटेल, त्रिभुवन के पटेल, मोरारजी देसाई के प्रयासों से 1945 के आसपास इसे संगठित कारोबार बनाया गया। 100-200 किसानों से शुरू इस सहकारी संस्था ने विशाल रूप ले लिया है। अकेले आणंद जिले में 15 हजार 322 ग्रामीण सोसायटियां हैं और इससे 6 लाख से अधिक किसान जुड़े हैं। जबकि पूरे गुजरात में 30 लाख से अधिक किसानों की मेहनत से लाखों टन दूध का उत्पादन किया जा रहा है। सरदार को देशभर में लौह पुरूष के नाम से जाना जाता है, लेकिन उन्हें यहां मिल्क मैन और बड़ा मैनेजमेंट गुरू के रूप में देखा जाता है। दुग्ध संघ और इसके उत्पादन से जुड़े बड़े-बड़े लोगों का कहना है कि आज के मैनेजमेंट के डिग्रीधारी उनके इस सूत्र के आधार पर काम कर रहे हैं।

1 comment:

bilaspur property market said...

गुजरात के आणंद जैसा भारत भर में हो

बढ़िया जानकारी
सुन्दर पोस्ट
manish jaiswal
Bilaspur